नव वर्ष के भी कुछ दिन गुजर गए है !इस दौरान शुरुआत में लिए गए कई संकल्पो ने भी दम तोड़ दिया होगा !आखिर हर साल की यही कहानी क्यों होती है?इससे निपटने के लिए अगर हम इच्छाशक्ति के साथ ही शब्दों की ताकत का भी संज्ञान ले तब बात बन सकती है!बार बार संकल्पो को लेकर निराशा के भाव से पीड़ित लोग अक्सर कठोर रणनीति अपना लेते है !इस कारण वह स्वयं के शत्रु बन जाते है !वे स्वजनित शत्रु संकल्पो की सिद्धि में और अवरोध ही उत्त्पन्न करते है!ऐसे में इस प्रकार की परिस्थितियों से बचने के लिए इस वर्ष कठोर बनने के बजाय शब्दों का प्रयोग कर लचीला बनना सीखे !स्मरण रखे कि सकारात्मक और रचनात्मक नीति हर विपरीत परिस्थिति को सहज बनाकर हमारी राह आसान बना देती है!यह बेहद कारगर नीति है!सकारात्मक शब्दों की ताक़त को आज विश्व के कोने कोने में महसूस किया जा रहा है ! सकारात्मक सोच की रणनीति में ...